Post: सिरपुर के जंगलों में,तांत्रिक चंडालों का डेरा – संकट में है विश्व धरोहर सिरपुर।

सिरपुर के जंगलों में,तांत्रिक चंडालों का डेरा – संकट में है विश्व धरोहर सिरपुर।

843 Views

महासमुंद।छ.ग.सृजन / सिरपुर छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक और धार्मिक पर्यटन नगरी है परन्तु सिरपुर इन दिनों एक बेहद रहस्यमयी और डरावने घटनाक्रम से गुजर रही है। प्राचीन अवशेषों, बुद्ध विहारों और धार्मिक विरासत के लिए प्रसिद्ध सिरपुर के घने जंगलों में अब तंत्र-मंत्र की भयावह छाया मंडरा रही है। जंगलों के अंदर, जहां सिर्फ पक्षियों की चहचहाहट और पत्तों की सरसराहट सुनाई देती थी, अब वहां तांत्रिकों के तंत्र तांडव की कहानियां गूंज रही हैं।

जंगल में मिले तांत्रिक पूजा के अवशेष!
आज सिरपुर के कुछ जागरूक युवाओं ने सिरपुर चौकी में एक चौंकाने वाली शिकायत दर्ज कराई। उनके अनुसार, जंगलों में रात के अंधेरे में अज्ञात लोग किसी प्रकार की रहस्यमयी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। जब स्थानीय युवाओं ने साहस कर उस स्थान का निरीक्षण किया, तो वहां तांत्रिक पूजा संबंधित काले कपड़े, रक्त से सनी मिट्टी, लोटा, नींबू, हड्डियों,माला,मिठाई,चारों कोनो में हल्दी,आटा,आईना,बिंदी जैसे तांत्रिक उपकरण,और जानवरों की बलि के प्रमाण मिले।

यह पहली बार नहीं है जब सिरपुर के जंगलों में तांत्रिक गतिविधियों की खबरें सामने आई हैं। इससे पहले भी यहां अज्ञात तंत्र क्रियाओं के प्रमाण मिल चुके हैं।

खुदाई में निकले प्राचीन अवशेष, फिर भी लापरवाही!

स्थानीय नागरिकों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार पूर्व में जेसीबी मशीन द्वारा की जा रही खुदाई के दौरान कुछ पुरातात्विक अवशेषों के दर्शन हुए, जिनमें ईंटों की बनी संरचनाएं, मूर्तियों के टुकड़े और जलहरी जैसी संरचना, मिट्टी के पात्र जैसे प्राचीन अवशेष शामिल थे।

स्थानीय युवाओं ने तुरंत वन विभाग को सूचना दी, जिसके बाद जेसीबी मशीन को जब्त कर लिया गया था। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठता है — क्या उस खुदाई स्थल को संरक्षित किया गया? जवाब है — नहीं!

आज भी वह खुदाई स्थल बिना किसी सुरक्षा के खुला पड़ा है, जहां किसी भी बाहरी तत्व द्वारा छेड़छाड़ की जा सकती है। यह स्थिति छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर के लिए एक बड़ा खतरा बन चुकी है।

पर्यटन विभाग की चुप्पी पर उठे सवाल
सिरपुर को छत्तीसगढ़ सरकार ने ‘बौद्ध पर्यटन सर्किट’ का हिस्सा घोषित कर रखा है। यहां हर साल देश-विदेश से हजारों पर्यटक आते हैं, लेकिन जब सिरपुर के ठीक पास के जंगलों में तांत्रिक गतिविधियां हो रही हों, खुदाई के बाद पुरातत्विक धरोहरें खुली पड़ी हों और प्रशासन चुप बैठा हो, तो सवाल उठते हैं।

क्या पर्यटन विभाग इतना असंवेदनशील हो गया है?
क्या सिरपुर की ऐतिहासिक पहचान को किसी रहस्यमयी ताकत के हाथों सौंप दिया गया है?
क्या तंत्र-मंत्र की ये गतिविधियां पुरातत्विक खजाने की खोज से जुड़ी हैं या इसके पीछे कोई और गहरी साजिश है?

ग्रामीणों में भय का माहौल
स्थानीय निवासियों के बीच अब गहरा भय और असुरक्षा का माहौल है। कई लोगों ने बताया कि शाम ढलने के बाद जंगल की ओर जाना अब उन्हें असंभव सा लगता है।

सिरपुर के उपसरपंच राजेश ठाकुर ने बताया, “हमने वहां जो देखा, वो किसी हॉरर फिल्म से कम नहीं था। जंगल के बीचोबीच गड्ढा खोदा गया था, चारों तरफ तांत्रिक पूजा की सामग्री फैली हुई थी। साफ है कि कोई बड़ी ताकत उस जगह का दुरुपयोग कर रही है।”

चौकी में शिकायत, कार्यवाही शून्य!

सिरपुर के युवाओं ने तांत्रिक गतिविधियों के खिलाफ स्थानीय सिरपुर चौकी में आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि अब तक कोई ठोस कार्रवाई या जांच की दिशा में पहल नहीं हुई है। न ही उस स्थल को सील किया गया, न ही पुरातत्व विभाग को सूचित किया गया, और न ही किसी संदिग्ध की पहचान हो सकी है।

विशेषज्ञों की चेतावनी
पुरातत्व विशेषज्ञों का मानना है कि सिरपुर की भूमि के नीचे ऐतिहासिक सभ्यताओं के अनगिनत रहस्य छिपे हो सकते हैं। यह इलाका कभी प्राचीन काल में शैव, बौद्ध और वैष्णव परंपराओं का मिलन स्थल था। यदि वहां अनियंत्रित खुदाई या तांत्रिक प्रयोग होते रहे, तो इससे न केवल धरोहर को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि भविष्य की पीढ़ियां इतिहास के इस अमूल्य अध्याय से वंचित रह जाएंगी।

क्या कहता है प्रशासन?
अब तक जिला प्रशासन या पर्यटन विभाग की ओर से कोई भी औपचारिक बयान सामने नहीं आया है। यही चुप्पी पूरे प्रकरण को और भी संदिग्ध बना रही है।

लोगों की मांग है कि

उस क्षेत्र को तत्काल सुरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए।

तांत्रिक गतिविधियों की जांच के लिए विशेष टीम गठित की जाए।

खुदाई स्थल को पुरातत्व विभाग के हवाले किया जाए।

जंगल में नियमित गश्त और निगरानी की व्यवस्था हो।

अंत में एक सवाल…
सिरपुर, जो कभी ज्ञान और संस्कृति का केन्द्र था, क्या आज अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र की गिरफ्त में जा रहा है?

छत्तीसगढ़ सरकार, पर्यटन विभाग, पुरातत्व विभाग और जिला प्रशासन — सबकी चुप्पी आज सवालों के घेरे में है। अगर अब भी नींद नहीं टूटी, तो शायद सिरपुर के जंगलों से सिर्फ पुरातत्विक धरोहर नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक आत्मा भी खो जाएगी।

“क्या तंत्र की छाया में दफन हो जाएगी सिरपुर की इतिहास गाथा?”
यह सवाल अब हर जागरूक नागरिक को खुद से पूछना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Recent Post
error: Content is protected !!