



बया/बलौदा बाजार 7/06/2025 (छत्तीसगढ़ सृजन) वैसे तो वन विभाग में कार्य कराए बिना ही भोले-भाले गरीब श्रमिकों के नाम पर फर्जी तरीके से प्रमाणक संधारित कर छ.ग.शासन के आंखों में धुल झोंककर मास्टररोल में फर्जी श्रम कार्यदिवस संधारित कर योजनाबद्ध तरीके से सरकारी खजाने में सेंधमारी करने एवं अपने चहते मजदूरों के नाम से राशि भूगतान दर्शाकर अपनी जेब गरम करने वाले अधिकारी कर्मचारियों की कोई कमी नहीं है। लेकिन शासन स्तर पर बलौदाबाजार वनमंडल के वनपरिक्षेत्र देवपुर क्षेत्र के रहने वाले ग्रामीण वनवासियों को भी वन विभाग के तहत कराए जाने वाले शासकीय कार्यों में श्रमिक के रुप काम कर शासन की निर्धारित मजदूरी दर से श्रम कर स्वरोजगार प्राप्त करने का अधिकार है क्योंकि स्थानीय ग्रामीण श्रमिकों की शासन के योजनाओं में सहभागिता से उन्हें स्वरोजगार मुहैया कराने एवं उनके जीवन स्तर को सुधारने की लगातार शासन स्तर पर कोशिश हो रही है।

लेकिन देवपुर वनपरिक्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्र से मिली जानकारी के अनुसार देवपुर वन परिक्षेत्र में उल्टा गंगा बह रही है, कुरकुटी से मेंटकुला के बीच सड़क सुधार व मरम्मत कार्य करवा रहे वन विभाग के आला अधिकारी व कर्मचारी सड़कों की मरम्मत व सुधार कार्य में घटीया मुरुम फैलाया जा रहा है श्रमिकों की जगह जेसीबी से एक निस्तार तालाब के बीच की मिट्टी को खोदकर सड़क पर फैलाया जा रहा है जिससे बरसात में सड़क कीचड़ व दलदल में तब्दील हो जाएगी वनपरिक्षेत्र देवपुर वन्यजीवों के अवैध शिकार के मामले में अव्वल व मांस की मंडी के नाम से मशहूर तो है ही लेकिन अब क्षेत्र वासियों को बरसात के मौसम में उनके आवागमन को सुगम बनाने वनविभाग क्षेत्र के डब्ल्यूबीएम सड़कों,पगडंडियों की मरम्मत,मुरमीकरण जैसे सुधार कार्यो,के लिए लाखों रुपए स्वीकृत कर ख़र्च करती है उनमे भी सिर्फ खानापूर्ति कर देवपुर वनपरिक्षेत्र के आला अधिकारी कर्मचारी अपनी जेब गर्म करने में लगे हैं इसलिए सड़क सुधार मरम्मत में अनियमितता,के मामले में भी देवपुर वन परिक्षेत्र मशहूर हो गया है

पूरा मामला देवपुर वन परिक्षेत्र के कुरकुटी से मेंटकुला के बीच सड़क सुधार कार्य में स्थानीय मजदूरों को काम देने के बजाय बाहर से जेसीबी मंगाकर तालाब के भीतर के निम्न स्तर की मिट्टी मुरुम को खोदकर सड़क में डाली जा रही है जो विभागीय मकसद को पूरा नहीं करता है। शासन स्तर पर स्थानीय ग्रामीण मजदूरों को आजीविका के लिए मजदूरी दर निर्धारित कर स्वरोजगार उपलब्ध कराने के बजाय देवपुर वन परीक्षेत्र के जिम्मेदार आला अफसर द्वारा स्थानीय गरीब मजदूरों के हक व अधिकार का हनन कर उनसे कार्य न कराके बाहर के अपने मन पसंद चहते जेसीबी से सड़क सुधार निर्माण कार्य के नाम पर सरकारी धनराशि को कमीशन खोरी से आपस में बांट कर बंदरबाट करने की कोशिश की जा रही है।
यहां स्थानीय गरीब मजदूरों से कार्य न कराकर जेसीबी से तालाब के भीतर की गुणवत्ता विहीन मुरुम मिट्टी को सड़क पर डाला जा रहा है जिससे बरसात में सड़क कीचड़ व दलदल में तब्दील हो जाएगी। जिसका खामियाजा क्षेत्र के स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ेगा।
डीएफओ धम्मशील पर छत्तीसगढ़ सृजन की एक नजर

हाल ही में नवपदस्थ वन मंडलाधिकारी बलौदाबाजार
डीएफओ गणवीर धम्मशील एक ऐसे वन अधिकारी हैं जिन्होंने अपने कार्यक्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। उन्होंने छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में वन विभाग में काम करते हुए, पारधी जनजाति के लोगों को इकोटूरिज्म में शामिल करने और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए उल्लेखनीय प्रयास किए हैं।
आईएफएस गणवीर धम्मशील: एक संक्षिप्त परिचय
वन विभाग में योगदान:-
धम्मशील वन विभाग में काम करते हुए, पारधी जनजाति के लोगों के साथ काम करने में विशेष रूप से जाने जाते हैं।
पारधी जनजाति के साथ काम:-
उन्होंने पारधी जनजाति के लोगों को वन विभाग की इकोटूरिज्म परियोजनाओं में शामिल करने के लिए पहल की।
इको टूरिज्म की परियोजनाएं:-
उन्होंने पारधी जनजाति के लोगों के लिए इको-पर्यटन परियोजनाएं शुरू कीं, जिससे उन्हें रोजगार और सम्मान मिला।
पारधी जनजाति के जीवन में सकारात्मक बदलाव:
धम्मशील के प्रयासों से पारधी जनजाति के लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आए, और वे अब वन विभाग के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
वन विभाग में प्रशंसा:-
उनके कार्य के लिए वन विभाग में उन्हें काफी प्रशंसा मिली है।
पारधी जनजाति के साथ धम्मशील के काम का प्रभाव
धम्मशील के प्रयासों से पारधी जनजाति के लोगों के जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आए हैं। उन्होंने पारधी जनजाति के लोगों को शिकार करना बंद करके इकोटूरिज्म परियोजना में शामिल होने के लिए राजी किया। इन लोगों को अब वन विभाग के साथ मिलकर काम करने का अवसर मिला है, और वे वन क्षेत्र में ट्रेकर्स के लिए गाइड के रूप में, स्थानीय संस्कृति और अनुष्ठानों के प्रदर्शनकार के रूप में और अन्य गतिविधियों में शामिल हैं।
धम्मशील का संदेश:-
धम्मशील का कहना है कि उन्होंने पारधी जनजाति के लोगों के साथ काम करके बहुत कुछ सीखा है, और उन्हें गर्व है कि उन्होंने इस जनजाति के लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि वन विभाग और स्थानीय समुदाय के बीच मजबूत संबंध स्थापित करने से वन संरक्षण और सामाजिक विकास दोनों को बढ़ावा मिल सकता है।
निष्कर्ष:
आईएफएस गणवीर धम्मशील एक ऐसे वन अधिकारी हैं जिन्होंने अपने कार्यक्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। उन्होंने पारधी जनजाति के लोगों के साथ काम करते हुए, उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए उल्लेखनीय प्रयास किए हैं। उनका काम वन विभाग और स्थानीय समुदाय के बीच मजबूत संबंध स्थापित करने का एक उदाहरण है, जो वन संरक्षण और सामाजिक विकास दोनों को बढ़ावा दे सकता है।




